हरिद्वार, 17 अक्टूबर। – हरिद्वार में गंगा बंदी किए जाने के बाद हर की पौड़ी के पास बहने वाली गंगा की धारा सूख गई है। जिससे यहां का नजारा बिल्कुल अलग हो गया है। गंगा के बीच रेत में रेलवे लाइन नजर आ रही हैं। जो इस समय चर्चा का विषय बन गई है।
हरिद्वार रेलवे स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर दूर ये ट्रैक लोगो के मन में जिज्ञासा पैदा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसकी वीडियो और फोटो शेयर कर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। मगर हरिद्वार के पुराने जानकार बताते हैं कि 1842 में हरिद्वार से कानपुर तक जाने वाली गंगनहर का निर्माण अंग्रेजों द्वारा कराया गया था।

1850 के आसपास गंग नहर के निर्माण के दौरान इन ट्रैक पर चलने वाली हाथ गाड़ी का इस्तेमाल मिट्टी और अन्य निर्माण सामग्री ढोने के लिए किया जाता था। भीमगौडा बैराज से डाम कोठी तक डैम और तटबंध बनाए जाने का काम पूरा होने के बाद अंग्रेज अफसर निरीक्षण करने के लिए इन गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे ….. वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी द्वारा दी गई जानकारी।

इतिहास के जानकार बताते हैं कि गंग नहर लॉर्ड डलहौजी का एक बड़ा प्रोजेक्ट था। जिसे इंजीनियर कोटले के सुपरविजन में तैयार किया गया था। ब्रिटिश काल में कई ऐसे बड़े निर्माण किए गए जिनकी आधुनिक भारत में महत्वपूर्ण भूमिका है। इतिहासकारों का दावा है कि रुड़की कलियर के पास भारत की पहली रेल लाइन बिछाई गई थी। हालांकि इसे पहले रेलवे लाइन के रूप में पहचान नहीं मिल पाई …… SMPG कॉलेज के हिस्ट्री प्रोफेसर डॉ संजय महेश्वरी द्वारा दी गई जानकारी

भले दावे कुछ भी किए जा रहे हों, लेकिन ये साफ हो गया है कि हर की पौड़ी के पास मिला ट्रैक रेलवे ट्रैक नहीं है। बल्कि ढुलाई के काम के लिए जिस ट्रैक पर हाथ गाड़ी चलती थी, ये वही ट्रैक है।