हरिद्वार। शंकराचार्य ने शुरू की शीतकालीन चारधाम यात्रा, बांग्लादेश के हालात पर दिया बयान बद्रीनाथ, केदारनाथ यमुनोत्री और गंगोत्री के कपट शीतकाल के लिए बंद होने के बाद, सभी चारो धामो को पूजा उनके गद्दी स्थलों, ऊखीमठ, पांडुकेश्वर आदि स्थलों पर पूरे वर्ष जारी रहती है , जिनकी यात्रा के लिए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा पिछले वर्ष शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की गई थी, जिसके बाद इस बार उत्तराखंड सरकार भी शीतकालीन यात्रा के लिए प्रचार प्रसार कर रही हैं, जिसके बाद आज रविवार को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद हरिद्वार से गंगा आरती कर शीतकालीन चारधाम के लिए रवाना हुए।
इस मौके पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि जिस प्रकार कई प्रदेशों की शीतकालीन ओर ग्रीष्मकालीन राजधानियों अलग अलग होती है उसी प्रकार चारधामो में ईश्वर की ग्रीष्मकालीन ओर शीतकालीन पूजन के स्थान अलग अलग है, उन्होंने कहा कि शीतकाल के लिए जब चारधाम के यात्रा के कपाट बंद होते है तो लोगो मे यह भ्रम हो चला था कि भगवान के दर्शन केवल छह महीने के लिए होते है जबकि ऐसा नही है भगवान की पूजा 12 महीने लगातार चलती रहती है, यह बात अलग है कि यह पूजा ग्रीष्मकाल के अलग और शीतकाल के लिए अलग स्थान पर होती है, इसलिए उन्होंने पिछले साल से शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की थी, ओर उन्हें हर्ष हो रहा है कि इस वर्ष उत्तराखंड सरकार भी शीतकालीन चारधाम यात्रा की पहल कर रही है,
वही इस मौके पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने हरिद्वार में मातृ सदन द्वारा खनन के विरुद्ध किये जा रहे अनशन पर बोलते हुए कहा कि जो खनन का कार्य पहले रोक दिया गया था वो क्यो खोला गया, क्यो संतो को खनन के विरुद्ध अनशन कर मरने के लिए विवश किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि यह सब तत्काल बंद किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर शंकराचार्य ने बांग्लादेश के हालातो पर बोलते हुए कहा कि जिस तरह से सत्ता धारी पार्टी के कार्यकर्ता देश भर में प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार चुप्पी साधे हुए हैं यह दुखद है सरकार को ए अविलंब इस पर करवाई करनी चाहिए और एक मिसाल पेश करनी चाहिए कि पूरे विश्व में कहीं भी अगर हिंदुओं पर अत्याचार होता है तो भारत सरकार उनके साथ खड़