हरिद्वार। हरिद्वार के पावन धाम मार्ग पर उत्तराखंड जल संस्थान सीवर शाखा की लापरवाही सामने आई है। शुक्रवार को हुई डेढ़ घंटे की बारिश के चलते सड़क में बड़े बड़े गड्ढे हो गए। गड्ढों में इस मार्ग से गुजरने वाली कार, बैटरी रिक्शा और ऑटो समेत कई वाहन फंस गए। सबसे बड़ा हादसा उस वक्त हुआ जब इंदौर से आए यात्रियों से भरा टेंपो ट्रैवलर सड़क में धंस गया। बारिश के बीच यात्रियों से भरी गाड़ी का पिछला हिस्सा अचानक गड्ढे में समा गया।

जिससे अफरा तफरी मच गई। गाड़ी में बैठी महिलाएं और बच्चे घबरा गए। मौके पर पहुंचकर श्री शक्ति व्यापार मंडल से जुड़े व्यापारियों ने यात्रियों की मदद की। जेसीबी मंगाकर फंसी हुई गाड़ी को बाहर निकाला गया। इसके बाद व्यापारियों ने जल संस्थान के अधिकारियों को मौके पर बुलाकर हंगामा किया और लापरवाही का आरोप लगाया।
यात्री रजत मरवानी, धनश्याम, पुनीत अटलानी और प्रकाश परवानी ने बताया कि वे कुल 11 लोग इंदौर से हरिद्वार दर्शन को आए थे। गंगा स्नान और मंदिर दर्शन के बाद मसूरी जा रहे थे। जैसे ही हरिद्वार से रवाना हुए, पावन धाम मार्ग पर गाड़ी का पिछला हिस्सा गड्ढे में धंस गया। गाड़ी रुकते ही उसमें सवार महिलाएं और बच्चे घबरा गए। सभी को नीचे उतारने के बाद पता चला कि गाड़ी का पिछला हिस्सा पूरी तरह से गड्ढे में फंसा है। ड्राइवर ने निकालने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया। इस दौरान मौके पर पहुंचे व्यापारियों ने यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला और जेसीबी बुलाकर गाड़ी को गड्ढे से बाहर निकाला। हादसे के बाद व्यापारियों में प्रशासन के प्रति नाराजगी देखने को मिली। जल संस्थान के अधिकारियों को बुलाकर व्यापारियों ने जमकर नाराजगी जताई।
श्री शक्ति व्यापार मंडल के अध्यक्ष विपिन शर्मा ने कहा कि चारधाम यात्रा शुरू हो गई है, लेकिन इसके बावजूद सीवर लाइन का कार्य अधूरा है। जल संस्थान के अधिकारी लगातार लापरवाही बरत रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीवर लाइन डालने के बाद गड्ढों को ठीक से नहीं भरा गया। केवल ऊपर से मिट्टी डालकर लीपापोती कर दी गई। जिसे बारिश ने उजागर कर दिया। उन्होंने कहा कि गनीमत रही कि हादसा दिन में हुआ और लोगों ने समय रहते हालात संभाल लिए लेकिन यदि रात को ऐसा होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। लिहाजा उन्होंने जल संस्थान के अधिकारियों से मांग की है कि सीवर लाइन डालने के बाद ठीक से गड्ढों को भरा जाए और गुणवत्ता का ख्याल रखते हुए नए सिरे से सड़कें बनाई जाएं।