हरिद्वार। ब्रह्मलीन परम पूज्य महर्षि महेश योगी के दिव्य आशीर्वाद एवं संस्थान के अध्यक्ष गिरीश चंद्र वर्मा के प्रेरणादायक मार्गदर्शन में महर्षि विद्या मंदिर, हरिद्वार में चेतना आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सप्तदिवसीय महर्षि चेतना पर आधारित शिक्षा पाठ्यक्रम-1 तथा त्रिदिवसीय आंतरिक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 26 मई 2025 को हुआ। कार्यक्रम का आरंभ प्रातः योग एवं भावातीत ध्यान सत्र के साथ हुआ। इसमें शामिल शिक्षकों ने शारीरिक स्फूर्ति एवं मानसिक शांति का अनुभव किया। आयोजन स्थल गुरुकुल विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता महर्षि विद्या मंदिर, हरिद्वार के प्राचार्य राजीव त्यागी ने की।

मुख्य अतिथि के रूप में गुरुकुल विश्वविद्यालय की कुलपति हेमलता ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। प्राचार्य राजीव त्यागी द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया गया। शिक्षिकाओं भावना चौहान एवं जया ज्योति द्वारा पारंपरिक तिलक व शाल पहनाकर और एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर गौरव असवाल द्वारा ज्ञान पत्रिका भेंट कर अतिथि का अभिनंदन किया गया। मुख्य अतिथि ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में वैदिक परंपरा, प्राचीन भारतीय ज्ञान तथा चेतना के जागरण पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महर्षि महेश योगी के विचार आज के समय में और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। चेतना आधारित शिक्षा से ही आत्म-स्थायित्व, नैतिकता और शांति संभव है।

कार्यक्रम के दौरान महर्षि संस्थान के अध्यक्ष गिरीश चंद्र वर्मा ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में चेतना पर आधारित शिक्षा को विश्व शांति की आधारशिला बताया और उपस्थित शिक्षकों से अजेयता की चेतना (इन्विंसिबिलिटी) को जागृत करने का आह्वान किया। उनका वक्तव्य शिक्षकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा। महर्षि संस्थान से संबद्ध विभिन्न विद्यालयों से आए शिक्षक इस आयोजन में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को वैदिक विज्ञान एवं चेतना पर आधारित शिक्षण पद्धति से परिचित कराना और उन्हें प्रशिक्षित करना है, ताकि वे छात्रों के सर्वांगीण विकास में अपनी सशक्त भूमिका निभा सकें।

कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने अनुभव साझा करते हुए इस प्रकार के प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी बताया तथा आभार व्यक्त किया। यह आयोजन न केवल शिक्षकों के लिए एक प्रशिक्षण मंच रहा, बल्कि चेतना के क्षेत्र में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक भी बन गया।