हरिद्वार, 05 जुलाई। उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से गंगा नदी उफान पर बह रही है। मंगलवार सुबह भीमगोडा बैराज पर गंगा का जलस्तर 293 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी स्तर है। महज एक मीटर की बढ़ोतरी पर गंगा खतरे के निशान, 294 मीटर को पार कर जाएगी। ऐसे में गंगा से सटे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। प्रशासन ने सभी संवेदनशील इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है और बाढ़ चौकियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। लगातार हो रही बारिश के कारण हरिद्वार सहित छह जिलों में मध्यम से भारी बारिश का अलर्ट है। मौसम विभाग ने टिहरी, देहरादून, पौड़ी और बागेश्वर के लिए रेड अलर्ट घोषित किया है। जबकि हरिद्वार, नैनीताल और चंपावत के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलों को पत्र भेजकर सतर्क रहने और आवश्यक तैयारियां करने के निर्देश दिए हैं।
हरिद्वार जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश का असर मैदानी क्षेत्रों पर भी दिख रहा है। गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और मंगलवार सुबह यह चेतावनी स्तर 293 मीटर पर पहुंच गया। यदि बारिश इसी तरह जारी रही तो जलस्तर में और वृद्धि हो सकती है। प्रशासन ने बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया है और सभी आवश्यक एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं।

सिंचाई विभाग के अधिकारी भी गंगा के जलस्तर पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। यूपी सिंचाई विभाग के जेई हरीश वर्मा ने बताया कि हर घंटे जलस्तर की स्थिति अपडेट की जा रही है। गंगा किनारे बसे निचले इलाकों में स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

उधर, मौसम विभाग की चेतावनी के बाद जिला प्रशासन ने सभी आपदा प्रबंधन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए संसाधनों को तैयार रखें। SDRF और NDRF की टीमों को भी अलर्ट पर रखा गया है। हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित भी विभिन्न माध्यमों से नदियों के जल स्तर, वर्षा, जल भराव आदि से संबंधित पल–पल की जानकारियां ले रहे हैं। उन्होंने सभी अधिकारियों को दिए फील्ड में बने रहने के निर्देश दिए हैं। स्थापित बाढ़ चौकियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश देने के साथ ही लोगों से नदी तटीय इलाकों से दूर रहने व निर्धारित स्थानों पर ही स्नान करने की अपील की है।
गौरतलब है कि हरिद्वार में गंगा का चेतावनी स्तर 293 मीटर और खतरे का निशान 294 मीटर निर्धारित है। बीते वर्षों के अनुभव को देखते हुए प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद नजर आ रहा है।