हरिद्वार – श्री अखण्ड परशुराम अखाड़े के कार्यकर्ताओं ने प्रेमनगर आश्रम घाट पर मां गंगा एवं भगवान शिव का दुग्धाभिषेक कर कांवड़ मेला निर्विघ्न एवं सकुशल संपन्न होने की प्रार्थना की। इस दौरान कांवड नियमों का पोस्टर भी जारी किया गया। जिन्हें कांवड़ मेले के दौरान वितरित किया जाएगा।
श्री अखण्ड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि कांवड़ मेला सनातन धर्म का मुख्य पर्व है। प्रतिवर्ष होने वाले कांवड़ मेले में देश के विभिन्न राज्यों से करोड़ों श्रद्धालु गंगा जल लेने हरिद्वार आते हैं। कठिन यात्रा कर गंगाजल ले जाने वाले कांविड़यों की सुविधा के लिए सरकार को सभी व्यवस्थाएं करनी चाहिए। कांवड़ियों की सुविधा के लिए मार्गो व पार्किंग स्थलों पर बोर्ड लगाए जाएं। कांवड़ यात्रा मार्ग में पेयजल व शौचालय आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।

पंडित अधीर कौशिक ने कांविड़यों से अपील करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान धार्मिक यात्रा के सभी नियमों का पालन करें। बहनों से तिलक कराकर कांवड़ यात्रा पर रवाना हों। निर्धारित मार्ग पर चलें, शुद्ध सात्विक भोजन करें। फिल्मी गीतों पर किसी प्रकार की हुड़दंग बाजी और नृत्य ना करें। गुलर के पेड़ के नीचे से ना निकलें। कांवड़ यात्रा के दौरान राष्ट्रध्वज का अपमान ना करें।

इस दौरान पंडित अधीर कौशिक, मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, शकुंभरी पीठाधीश्वर सहजानंद महाराज, स्वामी विनोद महाराज, पंडित पवन कृष्ण शास्त्री, गिरीश मिश्रा, विष्णु पंडित, सत्यव्रतानंद महाराज, विपिन जोशी, कुलदीप शर्मा, सोमपाल, पंडित चुड़ामणि, पंडित हिमेश, पंडित हिमाशु, पंडित देवकीनंद, पंडित विष्णु गौड़, अस्मित कुमार, चमन गिरी, हरिओम कुमार आदि मौजूद रहे।
क्या हैं कांवड़ यात्रा के नियम, आप भी जानिए ….

1. घर से जल लाने के लिए प्रस्थान के समय बहन से टीका कराना और आरती कराकर बड़ों का आशीर्वाद लेकर निकलना चाहिए। 2. हरिद्वार आकर माँ गंगा को प्रणाम कर जल कांवड में रखकर उस उद्देश्य का संकल्प लेना चाहिए जिस उद्देश्य से आप कांवड ले जा रहें है। 3. कांवड उठाने के बाद रास्ते में यदि आप लघुशंका आदि करते है तो उसके बाद हाथ-पैर-मुंह धोकर ही कांवड उठानी चाहिए। 4. कांवड उठाने के बाद रास्तें में यदि आप शौच आदि करते है तो उसके बाद स्नान कर एवं धूपबत्ती दिखाकर ही कांवड उठानी चाहिए। 5. कांवड उठाने से पूर्व किसी प्रकार का नशा न करें और न ही मार्ग में किसी प्रकार का नशा आदि करना चाहिए। 6. यात्रा के मध्य भण्डारे में प्रसाद आदि करते है तो वहां पर कुछ न कुछ दान अवश्य करें। 7. कांवड यात्रा के दौरान शुद्ध वैष्णव भोजन ही करना चाहिए। 8. कांवड को गुलर के पेड़ के नीचे से न ले जायें।
शिव मन्दिर में जलाभिषेक करने के बाद जब आप घर जाये तो घर में प्रवेश से पूर्व
9. बहन से आरती कराकर और उसे कुछ लेक देकर ही घर में प्रवेश करें। 10. कांवड खोलने से पूर्व घर में सत्यनारायण भगवान की कथा कराकर बहन(कन्या) के हाथ से कांवड का कोई भी धागा खुलवायें। 11. आप सभी शिव भक्तों से निवेदन है कि ईष्ट देवताओं के स्वरूप बनाकर मनोरंजन के लिए फिल्मी धुनों पर जो नृत्य करता है वह पाप का भागीदार बनता है। 12. हम सभी शिवभक्तों से निवेदन करते है जो कांवड से संबंधित वस्तुएं हैं वह सनातन प्रेमियों से ही खरीदें। 13. हम सभी शिवभक्तों से निवेदन करते हैं राष्ट्रीय ध्वज का अपमान ना करें यह हमारे देश का गौरव हैं। 14. सभी शिवभक्तों से निवेदन है कि अपनी-अपनी कांवड़ पर सनातन की पहचान भग्वा ध्वज लगाकर कांवड की शोभा बढ़ाएं। अपनी यात्रा शिव जी के सुंदर-सुंदर भजनों के माध्यम से एवं बम-बम भोले के जयकारों के साथ ही संपन्न करें।