हरिद्वार। माता-पिता की संपत्ति से कलयुगी बेटों को बाहर निकालने के आदेश- एसडीएम जितेंद्र कुमार की कोर्ट ने सुनवाई कर दस मामलों में दिया फैसला- कहा कि जिन बेटों ने मां-बाप को तिरस्कृत किया, उन्हें कोई नहीं है अधिकार
हरिद्वार डेस्क। मां-बाप की संपत्ति पर हक जताने वाले दस कलयुगी बेटों को एसडीएम कोर्ट ने बुधवार को करारा झटका दिया है। कोर्ट ने सभी बेटों को अपने माता-पिता की संपत्ति से बाहर निकालने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश उन मामलों में दिए गए हैं, जिनमें बेटों ने न केवल माता-पिता के साथ अभद्रता की, बल्कि उन्हें घर से बाहर निकालने की कोशिश भी की थी।कोर्ट के अनुसार कुछ मामलों में तो बेटों ने अपने माता-पिता को भोजन-पानी तक से वंचित कर दिया था। परेशान होकर वृद्ध दंपतियों ने एसडीएम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई थी। बुधवार को सुनवाई के दौरान वृद्ध माता-पिता ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी की पूरी कमाई लगाकर मकान बनाया, लेकिन अब उनके अपने ही बेटे उन्हें उस घर से निकालने पर आमादा हैं।दोनों पक्षों की विस्तृत सुनवाई के बाद एसडीएम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बेटों को तुरंत संपत्ति से बाहर करने का आदेश जारी किया। साथ ही थाना और कोतवाली पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए कि आदेश का अनुपालन सख्ती से कराया जाए और माता-पिता को किसी भी तरह की परेशानी न होने दी जाए।कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार ने स्पष्ट प्रावधान किए हैं। कोई भी संतान यदि अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करती है, तो उसे उनकी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है।
मानसिक रूप से भी किया परेशान
कई मामलों में कलयुगी बेटों ने न केवल आर्थिक रूप से माता-पिता का शोषण किया, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें प्रताड़ित किया। एक मामले में बेटे ने अपने पिता को खाना तक देने से इनकार कर दिया है। दो मामले में सरकारी कर्मचारियों से जुड़े हैं, जिन्होंने सरकार की नौकरी के दौरान घर बनाए। अब बेटे उन्हें बाहर निकाल रहे थे।
चर्चा का विषय बना
एसडीएम कोर्ट के इस फैसले के बाद शहर में चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसे उन वृद्ध माता-पिता के लिए राहत भरा कदम बता रहे हैं, जो अपने ही बच्चों के अत्याचारों से परेशान होकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।

