हरिद्वार – आज से सावन के महीने की शुरुआत हो गई है और आज के दिन विशेष संयोग बना है कि सोमवार के दिन से सावन की शुरुआत हुई है। हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह सवेरे से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा है। श्रद्धालु गंगाजल, दूध, दही, भांग-धतूरे और बेलपत्र से भगवान शिव की पूजा अर्चना कर सुख शांति की कामना कर रहे हैं।
भगवान शिव की ससुराल है कनखल नगरी — हरिद्वार की कनखल नगरी भगवान शिव की ससुराल है और मान्यता है कि भगवान शिव सावन के महीने में कनखल में ही निवास करते हैं। यही से सृष्टि का संचालन करते हैं। माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव ने ही राजा दक्ष को कनखल के दक्ष मंदिर में निवास करने का वरदान दिया था और यही कारण है कि साल भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
कैसे हुई थी दक्षेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना — दक्षेवर महादेव मंदिर की स्थापना के पीछे एक पौराणिक गाथा है। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्रपुरी महाराज बताते है कि कनखल में राजा दक्ष का साम्राज्य था। राजा दक्ष प्रजापति की इक्षा के विरुद्ध उनकी पुत्री सती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। एक बार राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में भगवान शिव को छोड़कर समस्त देवी देवताओ को निमंत्रण दिया गया। निमंत्रण न होने पर भी माता सती इस यज्ञ के आयोजन में पहुंची तो उन्होंने देखा कि वहां भगवान् शिव का उपहास उड़ाया जा रहा है। पति की मानहानि देख माता सती क्रोधित हो उठी और यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणो की आहुति दे दी।
माता सती की मृत्यु से क्रोधित होकर भगवन शिव ने अपने गण से वीरभद्र का सृजन किया और उसे राजा दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करने के लिए भेजा। क्रोध में आकर वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट दिया। उधर माता सती के वियोग में भगवान् शिव ने सम्पूर्ण पृथ्वी पर तांडव मचा दिया और माता सती के मृत शरीर को लेकर इधर उधर भटकने लगे। तब देवी देवताओ के आह्वान पर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती को मुक्ति दिलाई और भगवान् शिव का कोर्ध शांत हुआ।
शांत होकर भगवान् शिव ने बकरे का सिर लगाकर राजा दक्ष को पुनः जीवनदान दिया और शिवलिंग के रूप में यज्ञ कुंड में विराजमान हो गए। राजा दक्ष के आग्रह पर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद किया कि वो सावन के महीने में कनखल स्थित अपनी ससुराल में रहकर ही सम्पूर्ण सृष्टि का सञ्चालन करेंगे।
कैसे प्रसन्न होते हैं भगवान शिव — वैसे तो भगवान शिव को गंगाजल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, दही, शहद और फल फूल चढ़ाए जाते हैं। लेकिन यदि कोई सच्चे मन से भगवान शिव को एक लौटा गंगाजल भी चढ़ा दे तो भी भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।