जयपुर/रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के केदारनाथ में हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले पायलट राजवीर सिंह चौहान के परिवार पर एक और दुख का पहाड़ टूट पड़ा। हादसे के महज 13 दिन बाद उनकी मां विजय लक्ष्मी चौहान का भी निधन हो गया। बताया जा रहा है कि बेटे की मौत के गम को वह सहन नहीं कर सकीं और तेरहवीं के दिन ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई।
परिवारवालों ने बताया कि विजय लक्ष्मी पिछले कई दिनों से गहरे सदमे में थीं। बेटे की तेरहवीं की तैयारी के दौरान उन्हें सीने में तेज दर्द हुआ। आनन-फानन में परिजन उन्हें अस्पताल ले गए, लेकिन रास्ते में ही उनका निधन हो गया। डॉक्टरों ने अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हादसे में हुई थी सात लोगों की मौत
गौरतलब है कि 15 जून को केदारनाथ धाम के पास गौरीकुंड क्षेत्र में खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस हादसे में सात लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी, जिनमें पायलट राजवीर सिंह भी शामिल थे। वह राजस्थान के जयपुर स्थित शास्त्री नगर के निवासी थे। हादसे के बाद से ही उनके परिवार का बुरा हाल था।
14 साल देश की सेवा, फिर बने पायलट
राजवीर सिंह चौहान भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए थे। उन्होंने 14 वर्षों तक देश की सेवा की और इसके बाद पायलट की जिम्मेदारी संभाली। उन्हें 2000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव था। उनकी पत्नी दीपिका भी लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। दोनों की शादी वर्ष 2011 में हुई थी।
चार महीने पहले बने थे जुड़वा बच्चों के पिता
महज चार महीने पहले ही राजवीर और दीपिका के घर जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ था। लेकिन अब इन मासूम बच्चों के सिर से पिता और दादी दोनों का साया उठ चुका है। एक साथ दो-दो शोकों से जूझ रहे परिवार की स्थिति अत्यंत पीड़ादायक है। मोहल्ले में भी शोक की लहर है और लोगों का कहना है कि उन्होंने पहली बार इतना भारी दुख देखा है।
बेटे की मौत ने तोड़ा मां का हौसला
परिजनों के अनुसार विजय लक्ष्मी चौहान बेटे की मौत के बाद से बिल्कुल टूट चुकी थीं। वह अक्सर बेसुध सी रहतीं, किसी से बात नहीं करतीं और रातों को नींद नहीं आती थी। परिजनों ने उन्हें संभालने की बहुत कोशिश की लेकिन बेटे से बिछड़ने का गम उन्हें धीरे-धीरे भीतर से खा रहा था। तेरहवीं के दिन जब पूरा परिवार बेटे को अंतिम श्रद्धांजलि देने की तैयारी कर रहा था, तभी मां की सांसें भी थम गईं।
ऐसा दुख किसी को न मिले
शास्त्री नगर के लोग बताते हैं कि राजवीर बेहद विनम्र, मिलनसार और देशभक्ति से ओत-प्रोत व्यक्ति थे। वह हमेशा दूसरों की मदद को आगे रहते थे। उनके निधन की खबर जैसे ही मोहल्ले में फैली, लोगों की आंखें नम हो गईं। अब उनकी मां की मौत ने शोक को और गहरा कर दिया है।