हरिद्वार, 28मई। प्रोजेक्ट ऑफ इंप्रूवमेंट ऑफ अर्बन वॉटर सप्लाई उत्तराखंड जेआईसीए फाउंडेशन के तहत उत्तराखंड के 18 स्थानों सहित जिले की छह नगर पालिका और नगर पंचायतों में पानी उपलब्ध कराने के संसाधनों को बढ़ाया जाएगा। बुधवार को कार्यदाई संस्था पेयजल निगम की कंसल्टेंट एजेंसी ने शिवालिक नगर में राज्य के पहले सर्व की शुरुआत की। सर्वे के दौरान लोगों के घरों को डिजिटल टैग किया जाएगा। तीन माह में कंपनी जिले के छह स्थानों का सर्व का काम पूरा करेगी।
- बुधवार को पेयजल निगम की कंसल्टेंट एजेंसी ने राज्य का पहला सर्व शिवालिक नगर में शुरू किया, दिसंबर माह में योजना शुरू होगी
- नगर पालिका शिवालिक नगर में 126 करोड़ से होंगे पेयजल के काम, तीन माह में जिले का सर्व होगा पूरा
राज्य के चार जिलों के पानी की कमी, पानी की खराब गुणवत्ता और अपर्याप्त वितरण प्रणालियों जैसी समस्याओं से निपटने के लिए जापान इंटरनेशन कॉपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की शहरी जलापूर्ति में सुधार के लिए परियोजना के तहत बुधवार को शिवालिक नगर में पेयजल निगम की कंसल्टेंट एजेंसी ने दोबारा सर्वे की शुरुआत की। दो टीमों को सर्वे में लगाया गया है। सर्वे के दौरान टीम के सदस्य नगर पालिका शिवालिक नगर सहित अन्य पांच स्थानों के सभी घरों, निजी और व्यवसायिक संस्थानों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सरकारी और निजी संस्थाओं का सर्वे करेगी। सर्वे के दौरान सभी भवनों को डिजिटल टैग किया जाएगा। ताकि क्षेत्र की पेयजल संबंधित जानकारी, लोगों की संख्या, पानी के कनेक्शन, सुविधाएं, पानी की उपलब्धता, वार्षिक आमदनी आदि जानकारी वेब पोर्टल पर अपलोड हो सके। डिजिटल टैग करने के बाद विभाग स्तर पर क्षेत्र में पेयजल सुविधाओं और समस्याओं की निगरानी ऑनलाइन हो सकेगी। साथ ही क्षेत्र में पानी की सप्लाई, क्षमता और मांग का आंकलन भी आसानी से किया जाएगा। वहीं सर्वे के दौरान सामाजिक प्रबंधन और पर्यावरण प्रबंधन के लिए भी क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जाएगा। बुधवार को अधिशासी अभियंता राजेश गुप्ता और कंसल्टेंट एजेंसी के डॉ. अंकित ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया की राज्य में शिवालिक नगर से सर्वे की शुरुआत की गई है। जिले का सर्व तीन माह में पूरा होगा। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर माह में परियोजना के तहत काम शुरू होने की उम्मीद है।

योजना से पहले दोबारा सर्वे
हरिद्वार। जेआईसीए के निर्देशों के अनुसार परियोजना शुरू करने से पहले दोबारा सर्वे किया जा रहा है। ताकि यह स्पष्ट हो सके कि डीपीआर बनने के बाद संबंधित क्षेत्रों में कितनी जनसंख्या बढ़ी है। वर्तमान में पेयजल सप्लाई की कितनी क्षमता है। संसाधनों को कितना बढ़ाया जाना है। डीपीआर के काम और जमीनी स्तर पर जरूरत और सुविधाओं की तुलना सर्वे के तहत हो रही है। जिससे परियोजना का लाभ लोगों को आगामी 20 वर्षों तक मिल सके।

करीब 126 करोड़ की डीपीआर फाइनल
हरिद्वार। शिवालिक नगर पालिका के लिए करीब 126.57 करोड़ की डीपीआर बनाई गई है। साथ ही पिरान कलियर के लिए करीब 47.18 करोड़, लंढौरा के लिए 28.68 करोड़, लक्सर के लिए 40.80 करोड़, भगवानपुर के लिए 41.33 करोड़ और झबरेडा के लिए करीब 18.21 करोड़ की डीपीआर तैयार कर शासन को भेजी जा चुकी। कामों के लिए शासन से अनुमति भी मिल गई है।
चार जिलों में होंगे पेयजल के काम
हरिद्वार। राज्य के चार जिलों हरिद्वार, टिहरी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ की 18 नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं में परियोजना के तहत काम होंगे। हरिद्वार जिले में 06 स्थान शिवालिक नगर, पिरान कलियर, लंढौरा, लक्सर, भगवानपुर और झबरेड़ा में पेयजल परियोजना के तहत काम किए जाएंगे।

भूमि की बन रही समस्या
हरिद्वार। पेयजल निगम के अधिकारियों ने बताया कि नगर पालिका शिवालिक नगर के 200 वर्ग मीटर भूमि की जरूरत है। साथ ही नगर पालिका लक्सर में 800 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता है। दोनों स्थानों पर भूमि नहीं मिल रही है। भूमि उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा जा रहा है। बताया कि 400 वर्ग मीटर भूमि की झबरेड़ा के एनओसी मिलनी बाकी है। यहां जल्द भूमि के लिए एनओसी मिल जाएगी।
2023 से परियोजना पर चल रहा काम
हरिद्वार। साल 2023 से जेआईसीए की पेयजल परियोजना पर काम चल रहा है। जापान का प्रतिनिधि मंडल नगर पालिका शिवालिक नगर का निरीक्षण भी पूर्व में कर चुका है। पूर्व में नगर पालिका शिवालिक नगर के लिए बनाई गई 45 करोड़ की डीपीआर रिजेक्ट हो चुकी है। इसके बाद दोबारा 126 करोड़ की डीपीआर बनाई गई है।

परियोजना के तहत होंगे काम
हरिद्वार। परियोजना के तहत पानी को साफ और पीने योग्य बनाने के लिए जल उपचार संयंत्रों को बढ़ाया जाएगा। नए जल स्रोत विकसित होंगे। मौजूदा स्रोतों का बेहतर उपयोग करने के लिए उच्चीकरण किया जाएगा। नई पाइपलाइन बिछाई जाएगी और अन्य वितरण प्रणालियों को बेहतर बनाया जाएगा। पानी की आपूर्ति प्रणाली को नियमित रूप से साफ और ठीक किया जाएगा। ताकि प्रणाली हमेशा काम करती रहे। जल संकट या आपातकालीन स्थितियों के लिए अतिरिक्त पानी के भंडारण की व्यवस्था की जाएगी। नए ओवरहेड टैंक और पंपिंग स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा।
ब्यूरो रिपोर्ट