हरिद्वार। हरिद्वार जनपद में अवैध रूप से रह रहे बाहरी राज्यों के व्यक्तियों के खिलाफ प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जनपद में सत्यापन अभियान चलाया जाएगा, ताकि ऐसे अपात्र व्यक्तियों की पहचान की जा सके जो बिना वैध दस्तावेजों के यहां रहकर राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। डीएम ने बताया कि विभिन्न स्रोतों से यह जानकारी मिली है कि दूसरे राज्यों के कई लोग हरिद्वार में विशेषकर किराए के मकानों, झुग्गी-झोपड़ियों और अस्थायी ठिकानों में रह रहे हैं। ये लोग ठेली, फड़ और अन्य छोटे-मोटे व्यवसायों में लगे हुए हैं और अनाधिकृत रूप से राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, निवास प्रमाण-पत्र, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य दस्तावेज हासिल कर चुके हैं। इससे न केवल राज्य के संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में इन बाहरी व्यक्तियों की मौजूदगी शांति और सुरक्षा की दृष्टि से चिंताजनक है। अतः सत्यापन कर यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि अपात्र व्यक्तियों को राज्य की योजनाओं का लाभ न मिल सके। इसके साथ ही ऐसे लोगों को लाभ पहुंचाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने सत्यापन अभियान के लिए तीन स्तरों पर समितियों का गठन किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में, नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त की अध्यक्षता में तथा नगर पालिका व नगर पंचायत क्षेत्रों में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में समितियाँ बनाई गई हैं। इन समितियों में संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधिकारी, खाद्य निरीक्षक, चिकित्सा अधिकारी, विकास प्राधिकरण व अन्य विभागीय प्रतिनिधि शामिल होंगे।
जिलाधिकारी ने सभी अध्यक्षों को आदेश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र में उपसमितियों का गठन करें और अभियान को प्रभावी रूप से चलाएं। सत्यापन के दौरान किरायेदारों, ठेली-फड़ वालों, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों, अतिक्रमण करके व्यवसाय कर रहे व्यक्तियों तथा विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान की जाएगी। सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिदिन स्थलीय निरीक्षण कर सत्यापन रिपोर्ट कलक्ट्रेट के प्रभारी अधिकारी को प्रस्तुत करें।प्रशासन का यह अभियान जनपद में शांति, सुरक्षा और संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।