हरिद्वार। उच्च शिक्षा विभाग और देव संस्कृति विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज में “समान नागरिक संहिता (यूसीसी)” पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि समान नागरिक संहिता केवल एक कानून नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा, “यूसीसी लागू होने से सभी नागरिकों के न्यायिक अधिकार समान हुए हैं और महिलाओं के लिए यह 50 प्रतिशत आबादी का 100 प्रतिशत कानून है।

मुख्यमंत्री ने लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते चलन पर चिंता जताते हुए कहा कि यह भारतीय संस्कृति में स्वीकृत नहीं है, लेकिन इसके दुष्परिणामों से महिलाओं और बच्चों को बचाने के लिए सरकार ने इसमें कानूनी प्रावधान किए हैं। उन्होंने कहा कि अब लिव-इन संबंधों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा और यदि रिश्ते में कोई विवाद होता है तो महिला को कानूनी रूप से गुजारा भत्ता मिलेगा। साथ ही, इन संबंधों से जन्मे बच्चों को संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार भी मिलेगा। धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड से शुरू हुआ यूसीसी का यह कदम अन्य राज्यों को भी प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा, “जैसे मां गंगा उत्तराखंड से निकलकर पूरे देश को जीवन देती है, वैसे ही समान नागरिक संहिता का लाभ भी पूरे देश को मिलेगा।
मूल निवास को लेकर भ्रम फैला रहे कुछ लोग
यूसीसी में रजिस्ट्रेशन के बाद मूल निवास का दर्ज मिलने की अफवाह को सीएम धामी ने सिरे से नकार दिया। मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी को लेकर बहुत सी भ्रांतियां फैलाई जा रही है। जिसे लेकर लोग तरह तरह के कयास लगा रहे हैं। उन्होंने यूसीसी में रजिस्ट्रेशन पर मूल निवास मिलने की बात को पूरी तरह से निराधार बताया। इस मौके पर लोगों को उन्होंने यूसीसी के फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता की मांग पर ही ये ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। बहुत जल्द ही अन्य विश्वविद्यालय में इस तरह की परिचर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जातिगत जनगणना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है।

कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है। उन्होंने बताया कि यूसीसी को छात्रों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जिनमें 5 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं भाग लेंगे। इन कार्यशालाओं का लक्ष्य अगले 3 महीनों में पूरा किया जाएगा।
कार्यशाला में दर्जाधारी राज्यमंत्री विनय रोहिला, विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, उच्च शिक्षा सचिव रणजीत सिन्हा, यूसीसी सदस्य मन्नू गौड़, जिलाधिकारी हरिद्वार डॉ. कर्मेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल, एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोभाल, एचआरडीए उपाध्यक्ष अंशुल सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अकांक्षा कोण्डे, नगर मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने छात्रों से आह्वान किया कि वे यूसीसी को समझें, इसके बारे में लोगों को जागरूक करें और समाज में सकारात्मक बदलाव का माध्यम बनें।