हरिद्वार, 12 मई – बुद्ध 4 के पावन अवसर पर सोमवार को धर्मनगरी हरिद्वार में श्रद्धा का ऐसा सैलाब उमड़ा कि हर की पैड़ी से लेकर सभी प्रमुख घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गए। सुबह चार बजे से ही गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था, जो देर रात तक जारी रहा। पुलिस प्रशासन के अनुसार, दिनभर में लगभग आठ लाख श्रद्धालुओं ने मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।
हर की पैड़ी, मालवीय घाट, सुबाष घाट, सरस्वती घाट समेत सभी घाटों पर भीड़ का रेला उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा जल में स्नान कर पूजा-अर्चना की और दान-पुण्य कर पुण्य अर्जित किया। वैशाख पूर्णिमा को गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी।
राधा देवी, जो परिवार संग वृंदावन से आई थीं, ने कहा, “हमने सुबह 5 बजे गंगा स्नान किया। मां गंगा के दर्शन कर मन को असीम शांति मिली। आज के दिन स्नान का विशेष पुण्यफल मिलता है।”
प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए थे। पूरे मेला क्षेत्र को 8 जोन और 21 सेक्टर में विभाजित किया गया था। घाटों पर जल पुलिस, महिला पुलिस और ड्रोन कैमरों की मदद से निगरानी की जा रही थी।
अमित कुमार, श्रद्धालु जो बनारस से आए हैं, ने कहा, “हम पहली बार बुद्ध पूर्णिमा पर हरिद्वार आए हैं। व्यवस्था बहुत अच्छी है, पुलिस भी मददगार है और गंगा घाट पर सबकुछ सुव्यवस्थित है।”
गंगा आरती के समय घाटों पर आस्था का दृश्य अद्भुत था। चारों ओर गूंजते मंत्र, फूलों से सजी आरती की थालियां और जलते दीपों की रोशनी ने श्रद्धालुओं को भक्ति में डुबो दिया।
हर की पैड़ी पर सेवा दे रहे पंडित जितेंद्र पांडेय ने बताया, “वैशाख पूर्णिमा का दिन बहुत ही पुण्यकारी होता है। मां गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शांति आती है। आज श्रद्धालुओं की भीड़ ने यह साबित कर दिया कि गंगा केवल नदी नहीं, आस्था की धारा है।”
बाजारों, धर्मशालाओं और यात्री निवासों में भी खासी भीड़ देखी गई। नगर निगम और प्रशासन की ओर से सफाई, पेयजल और स्वास्थ्य सुविधा के भी इंतजाम किए गए थे।
दिनभर हरिद्वार भक्ति, श्रद्धा और संयम का प्रतीक बना रहा। हर की पैड़ी से उठती आरती की ध्वनि और मां गंगा की लहरों में डूबती श्रद्धा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गंगा भारतीय संस्कृति की आत्मा है।