हरिद्वार। हरिद्वार की प्रसिद्ध गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी बड़े खेल की तैयारी कर ली गई है। गुरुकुल विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति का खिताब प्राप्त करने वाली हेमलता पर यूजीसी के नियमों को ताक पर रखकर, आर्य प्रतिनिधि सभाओं से छुपाकर एवं तथ्यों में छेड़छाड़ करके डिप्टी रजिस्टार, सहायक रजिस्टर सहित 7 लोगों को बैक डोर से से नियमित करने का आरोप लगा है। इस खेल की शुरुआत जनवरी 2025 को कुल सचिव राजेश कुमार पांडे के द्वारा यूजीसी को भेजी गई एक मेल से हुई। कुलपति के करीबी उपकुलसचिव राजेश कुमार पांडे द्वारा यूजीसी को वेतन विसंगति एवं नियमितीकरण के संबंध में एक मेल भेजा गया। जिस को संज्ञान में लेते हुए यूजीसी की उपसचिव मोनिका ने 16 अप्रैल को एक पत्र कुल सचिव गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को भेजा। जिसमें उनके द्वारा ओबीसी आरक्षण विस्तार योजना के तहत विश्वविद्यालय में रखे गए 8 गैर शिक्षण पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के संबंध में स्थिति और कार्रवाई की जानकारी मांगी गई।
उक्त पत्र के जवाब में विश्वविद्यालय के रजिस्टार ने यूजीसी को पत्र भेज कर बताया कि ओबीसी आरक्षण विस्तार योजना के तहत 8 पदों पर गैर तकनीकी पदों पर इंटरव्यू लेकर सीआरआर रूल के अनुसार भर्ती की गई थी। जिनके खर्च वेतन मद 36 से किया गया है। आरक्षण नीति का विधिवत अनुपालन किया गया है।
इसके बाद यूजीसी की उपसचिव मोनिका ने 23 मई 2025 को एक पत्र विश्वविद्यालय को भेजा। उन्होंने बताया कि 28 अप्रैल 2012 के पत्र के माध्यम से ओबीसी आरक्षण विस्तार योजना के तहत 8 गैर तकनीकी पदों को अनुबंध के आधार पर स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिन्हें 6-5 2019 को यूजीसी ने कुछ शर्तों के साथ उक्त पदों को नियमित किया गया। उन्होंने विश्वविद्यालय से उक्त पदों को नियमित किए जाने का कार्यकारी परिषद/ प्रबंधन बोर्ड के अनुमोदन मांगा ।

क्या है पूरा मामला जानिए ….
दरअसल यूजीसी नियम के अनुसार किसी भी कार्यवाहक कुलपति को नियुक्ति और प्रमोशन देने का अधिकार नहीं है। दूसरा इस पत्राचार में कुलपति और रजिस्टर द्वारा लगातार तथ्यों को छुपा कर यूजीसी और आर्य प्रतिनिधि सभा को भ्रमित किया जा रहा है। ओबीसी आरक्षण विस्तार योजना के तहत इन आठ गैर तकनीकी पदों को अनुबंध के तौर पर भर गया था। उसके बाद यूजीसी के दिशा निर्देशों पर 2019 में विश्वविद्यालय ने सभी नियमों का पालन करते हुए इन पदों के लिए वैकेंसी निकली थी। जिनका अखबारों में ऐड भी प्रकाशित किया गया था। इसके विरोध में पहले से अनुबंध के आधार पर इन पदों पर कार्य कर रहे कई लोग जिसमें डिप्टी रजिस्टार और सहायक रजिस्टर भी शामिल थे, विश्वविद्यालय के खिलाफ हाई कोर्ट नैनीताल गए थे। इसके बाद उक्त वैकेंसी रद्द हो गई थी। यह लोग इस प्रत्याशा में लड्डू बांट रहे थे कि हाईकोर्ट उन्हें परमानेंट कर देगा। लेकिन विश्वविद्यालय के खिलाफ हाई कोर्ट गए इन सभी कर्मचारियों की उम्मीद 19 नवंबर 2024 को माननीय जज मनोज कुमार तिवारी की बैच ने खत्म कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया कि ना तो यूनिवर्सिटी में इस तरह का कोई प्रावधान है और ना इनका कोई हक बनता है। माननीय कोर्ट ने सभी की रिट खारिज कर दी।
कई बेरोजगारों के हक पर डाका डालना चाहती है कुलपति
जब वैकेंसी निकली थी तो कई बेरोजगारों ने आवेदन किया था और उनके सपने भी गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय में नौकरी करने को लेकर सज गए थे, लेकिन हाई कोर्ट में मामला लंबित होने के चलते उनके सपने टूट गए थे, अब वे लोग जहां एक तरफ वैकेंसी आने का इंतजार कर रहे हैं वहीं महिला कुलपति यूजीसी में बैठे कुछ अपने चित परिचितों (वत्स) के साथ मिलकर इस खेल को खेलने जा रही हैं जिसके लिए बाकायदा उनके द्वारा एक हाई पावर कमेटी गठित की गई है। जिसमें पूर्व जस्टिस मोहम्मद अली, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी उमेश चंद्र तिवारी, सेवानिवृत प्रोफेसर दिनेश चंद्र भट्ट को रखा गया है जिनकी 12 जून को अपने कार्यालय में बैठक करके असंवैधानिक और गलत तरीके से गलत लाभ कमाने के लिए इन लोगों को परमानेंट करने का खेल खेलने जा रही है। जब इस बारे में कुलपति हेमलता से बात की गई तो उन्होंने इन कर्मचारियों के नियमित किए जाने की कोई कार्यवाही गतिमान होने से साफ इंकार कर दिया।