हरिद्वार। जय जवान जय किसान लोकशक्ति संगठन द्वारा आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर का समापन हवन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। शिविर में किसान, संत, समाजसेवी और पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए। चिंतन शिविर में किसानों की समस्याएं, धर्मांतरण, नशा और शरणार्थियों की स्थिति जैसे मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ।
किसान, संत और शरणार्थियों के मुद्दों पर हुआ मंथन, उठी भूमि आवंटन की मांग
समापन अवसर पर बाबा हठयोगी ने कहा कि भारत इस समय धर्म संकट के दौर से गुजर रहा है। धर्मांतरण, नशे की लत, नैतिक गिरावट और किसानों की दुर्दशा समाज को भीतर से खोखला कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान, संत और सनातन संस्कृति को जोड़कर जनचेतना का व्यापक अभियान ही भारत को बचा सकता है। उन्होंने नागरिकता प्राप्त कर चुके हिन्दू शरणार्थियों को शीघ्र भूमि आवंटित करने की मांग दोहराई और आश्वासन दिया कि तीर्थ सेवा न्यास इन पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा रहेगा।

तीर्थाचार्य राम विशाल दास ने कहा कि यह शिविर किसी राजनीतिक मंच का आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित एक यज्ञ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बसे शरणार्थी परिवारों के पुनर्वास के लिए अब सरकार को ठोस निर्णय लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का सबसे गरीब किसान ही कल भारत का भाग्यविधाता बन सकता है, बशर्ते उसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान मिले। विश्व सनातन महापीठ की स्थापना एक भवन नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को पुनः स्थापित करने का महायज्ञ है।

चंद्रभान चौहान ने कहा कि जय जवान जय किसान का यह आंदोलन अब केवल नारा नहीं रहेगा, बल्कि गांव-गांव जनआंदोलन के रूप में पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की फसल, परिवार और भविष्य – तीनों पर संकट मंडरा रहा है। ऐसे में संगठन उनकी आवाज बनेगा और हर समस्या को हल करने की जिम्मेदारी निभाएगा। चेतन शर्मा, अध्यक्ष, अभिनव भारत पार्टी ने कहा कि अब केवल भाषणों से नहीं, बल्कि गांव-गांव जाकर किसानों और सनातन धर्म के लिए जनजागरण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत की मूल शक्ति किसान, सैनिक और संत हैं। यदि इन तीनों को सशक्त कर दिया जाए, तो कोई भी विदेशी एजेंडा या धर्मांतरण भारत को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। ए. के. सोलंकी ने कहा कि नागरिकता प्राप्त हिन्दू शरणार्थी आज भी बदहाल हालात में रह रहे हैं। दिल्ली के कैंपों में न रोजगार है, न जमीन, न सरकारी योजनाओं की पहुंच। उन्होंने मांग की कि सरकार इन्हें जमीन आवंटित करने के लिए ठोस कदम उठाए, पूर्व में बने लैंडलेस कानून या 20 सूत्रीय कार्यक्रम की तर्ज पर राहत मिले।
कार्यक्रम के दौरान पीपीएन अवार्ड योजना के अंतर्गत समाजसेवियों को सम्मानित किया गया। अंत में सभी सहभागियों को विश्व सनातन महापीठ अभियान से जोड़ने का संकल्प पत्र बांटा गया और अगले चिंतन शिविर की तिथि जल्द घोषित करने का ऐलान किया गया। इस अवसर पर महंत ओमदास, महंत हितेश दास, राजबीर तोमर, नितेंद्र शर्मा, दिनेश बाली, गीतांजलि सहित कई संत, समाजसेवी और किसान प्रतिनिधि मौजूद रहे।