हरिद्वार, संवाददाता। उत्तराखंड राज्य के 25 वर्ष पूर्ण होने पर सरकार रजत जयंती समारोह मना रही है और राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान भी दिया जा रहा है। ऐसे में श्री अखंड परशुराम अखाड़ा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने पहल करते हुए राज्य आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओ में से एकफील्ड मार्शल के नाम से विख्यात आंदोलनकारी दिवाकर भट्ट को उनके हरिद्वार स्थित आवास पर जाकर सम्मानित किया। राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस सम्मान समारोह में अखाड़े राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की नींव आंदोलनकारियों के बलिदान पर टिकी है। सरकारें चाहे किसी की भी हों, लेकिन जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी और परिवार को आंदोलन में झोंक दिया, उन्हें भुलाना सबसे बड़ी भूल होगी। उन्होंने कहा कि श्री अखंड परशुराम अखाड़ा पूरे उत्तराखंड में उन आंदोलनकारियों को सम्मानित करेगा, जिन्हें आज तक उचित पहचान नहीं मिली। उन्होंने कहा कि दिवाकर भट्ट ने पर्वत से लेकर दिल्ली तक आंदोलन का नेतृत्व किया। तीन बार उनके खिलाफ सूट आउट के आदेश जारी हुए, फिर भी वे पीछे नहीं हटे। उनकी पत्नी और माता ने भी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर राज्य का निर्माण कराया, लेकिन आज भी कई गुमनामी में हैं।

पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आंदोलनकारियों की उपेक्षा करना उत्तराखंड के इतिहास से खिलवाड़ है। प्रदेश की राजनीति में पहाड़-मैदान का मुद्दा उठाना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा ऐसे विभाजनकारी बयानों का विरोध करता है और यह संदेश देता है कि हम सब उत्तराखंडवासी हैं, एक हैं, अविभाज्य हैं। यशपाल शर्मा ने कहा कि दिवाकर भट्ट जैसे आंदोलनकारी समाज के प्रेरणा स्रोत हैं। राज्य के विकास का वास्तविक सम्मान तभी होगा जब उनके संघर्ष को स्वीकार कर नई पीढ़ी को बताया जाए कि उत्तराखंड कैसे बना।

कार्यक्रम के अंत में पंडित अधीर कौशिक जी ने घोषणा की कि आने वाले समय में अखाड़ा द्वारा पूरे प्रदेश में एक आंदोलनकारी गौरव सम्मान अभियान चलाया जाएगा, जिसमें उन सभी लोगों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने राज्य निर्माण में अपना जीवन समर्पित किया। उत्तराखंड की रजत जयंती का वास्तविक अर्थ तभी है, जब हम अपने शहीदों, माताओं और आंदोलनकारियों का सम्मान करें।

इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं प्रसिद्ध कथावाचक पवन कृष्ण शास्त्री, कुलदीप शर्मा, यशपाल शर्मा, मनोज ठाकुर, आशीष गिनी और पंडित कमल राणा विशेष रूप से उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर दिवाकर भट्ट का शॉल ओढ़ाकर, पुष्पमाला पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया।



