डेस्क – देश में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर राजनीतिक जंग छिड़ी हुई है। केंद्र सरकार ने संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को पेश किया लेकिन विपक्षी दल इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। आपको बताना चाहते हैं कि वक्फ बोर्ड वो सरकारी बॉडी है जिसे मुस्लिम समुदाय से जुड़ी संपत्ति की देखरेख के लिए बनाया गया है। मुस्लिम समाज से जुड़े राजनीतिक, धर्मगुरु और समाजसेवी वक्फ बोर्ड के सदस्य और अध्यक्ष बनाए जाते हैं। वक्फ बोर्ड रेलवे और रक्षा विभाग के बाद ऐसी बॉडी है जिसके पास देश में सबसे ज्यादा संपत्ति है। इस बोर्ड को असीमित अधिकार प्राप्त हैं और इन अधिकारों में परिवर्तन के लिए केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के नियमों परिवर्तन के लिए संशोधन करना चाह रही है मगर विपक्ष इसका विरोध कर रहा है।
*कब हुआ था गठन -*
बता दे कि देश में सबसे पहली बार 1954 में वक्फ एक्ट बनाया गया था। इस कानून का मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना था। एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे और रख-रखाव के नियम कानून बनाए गए हैं। साल 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बनाया गया। इसके तहत हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई। बाद में साल 2013 में इसमें संशोधन किया गया था।
*कहां से आई इतनी संपत्ति -*
वक्फ बोर्ड के पास जो संपत्ति है वो मुस्लिमों द्वारा दान की गई संपत्ति है।एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में वक्फ बोर्ड के आठ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। साल 2009 में यह जमीन चार लाख एकड़ थी। इनमें अधिकांश मस्जिद, मदरसा, और कब्रिस्तान शामिल की संपत्ति शामिल हैं। वक्फ बोर्ड की अनुमानित संपत्ति की कीमत करोड़ों में है। देश में उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड समेत कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। रेलवे और रक्षा विभाग के बाद देश में वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक संपत्ति है।
गुरुवार को संसद में जब वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश किया गया तो सपा, कांग्रेस और एआईएमआईएम ने इसका विरोध किया और सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। दिनभर देश गुरुवार को यह विषय काफी गर्माता रहा। मगर सरकार का कहना है कि संशोधन से संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। इससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा।