हरिद्वार, 13 अक्टूबर। दशहरा पर्व पर हिंदू धर्म में शस्त्र पूजन की परंपरा है। हरिद्वार में साधु संतों के अखाड़े में भी विधि विधान से शस्त्र पूजन किया जाता है। आज कनखल स्थित महानिर्वाणी अखाड़े में नागा संन्यासियों ने परंपरा के अनुसार शस्त्र पूजन किया।
अखाड़े में नागा संन्यासियों के पारंपरिक भाले सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश के साथ अन्य दूसरे तलवार खंजर और आधुनिक हथियारों का भी पूजन किया गया। शस्त्र पूजा कर संतों ने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के अपने संकल्प को भी दोहराया।
संतों का कहना है कि जब भी सनातन धर्म पर खतरा हुआ है नागा संन्यासियों ने शस्त्र उठाए हैं, आगे भी कभी सनातन पर आंच आएगी तो सन्यासी शस्त्र उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
रविन्द्र पुरी, सचिव, महानिर्वाणी अखाड़ा ने बताया कि जब जब धर्म की हानि हुई तब तब साधु संतो ने शास्त्रों के साथ शस्त्रों से भी युद्ध लड़े। इतिहास रहा है कि सनातन और धर्म की रक्षा के लिए साधु संतो ने न सिर्फ युद्ध लड़े बल्कि आक्रांताओं को सबक भी सिखाया है।
अपनी संस्कृति और सभ्यता का निर्वहन करते हुए सदियों पुरानी परंपरा का पालन किया जाता है। आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा को निभाते हुए दशहरे पर पूरी विधि विधान के साथ शस्त्रों के साथ अस्त्र भी पूजे जाते हैं। आगे भी जब जब देश और सनातन पर खतरा होगा, नागा संन्यासी पीछे नहीं हटेंगे।