ऋषिकेश। सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन ने भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन के सहयोग से चलाए जा रहे विशेष अभियान सुलभ स्वच्छता पर्वतों की ओर का सफल समापन गुरुवार को परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में आयोजित फलैग-इन समारोह के साथ किया। अभियान का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्रों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त पर्वतों का संदेश देना रहा।

परियोजना निदेशक ब्रिगेडियर डॉ राम प्रताप सिंह की परिकल्पना पर शुरू हुए इस स्वच्छता मिशन में राजीव रावत के नेतृत्व में दो महिला ट्रेकर्स सहित नौ सदस्यों की टीम ने 2 अक्तूबर को अपना 15 दिवसीय सफर शुरू किया था। इस दौरान दल ने करीब 750 किलोमीटर की कठिन दूरी तय की और वृहत्तर हिमालय की ऊंची घाटियों से गुजरते हुए 15,200 फीट की ऊंचाई तक चढ़ाई की। टीम ने हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। अभियान के दौरान दल ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। ऊंचाई वाले इलाकों में पर्यावरण अनुकूल स्वच्छता उत्पाद उपलब्ध कराए गए। नुक्कड़ नाटक और संवाद कार्यक्रमों के जरिए स्थानीय ग्रामीणों, ट्रेकर्स और पर्यटकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया।

स्थानीय प्रशासन के सहयोग से गैर जैव निम्नीकरणीय कचरे को एकत्र कर जिम्मेदारी से निपटाया गया। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान का प्रचार किया गया और नौ हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में वृक्षारोपण कर वनीकरण को बढ़ावा दिया गया। इसके अलावा, दुर्गम गांवों में चिकित्सा शिविर लगाकर वृद्धों और महिलाओं को स्वास्थ्य सहायता भी दी गई।

फलैग-इन समारोह में अध्यक्षता कर रहे स्वामी चिदानंद सरस्वती ने टीम के समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि यह मिशन केवल हिमालय की सफाई का नहीं बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना जगाने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस टीम ने मिसाल पेश की है कि नागरिक भी राष्ट्रीय हित में योगदान दे सकते हैं। सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष कुमार दिलीप ने कहा कि संगठन पर्यावरण स्वच्छता और सतत विकास के लिए निरंतर कार्य करता रहेगा। उन्होंने कहा कि सुलभ का लक्ष्य पर्वतों से लेकर मैदानों तक स्वच्छता की ज्योति जलाए रखना है।

समारोह में उत्तराखंड स्टेट कंट्रोलर सतीश पटेल, डिप्टी कंट्रोलर श्याम नारायण ठाकुर, कर्नल संजय महाराज सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे। समारोह ने न केवल ट्रैक के सफल समापन को दर्शाया बल्कि स्वच्छता के मिशन को भी गांवों से घाटियों और मैदानों से चोटियों तक आगे बढ़ाने के संकल्प को भी मजबूत किया।

