डेस्क। भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने देशभर में सतर्कता बढ़ा दी है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि युद्ध जैसे हालात में लोगों को सचेत करने के लिए मॉक ड्रिल्स कराई जाएं और युद्ध के समय बजने वाले सायरन को पहचानने की ट्रेनिंग दी जाए। इस आदेश के तहत मुंबई से लेकर श्रीनगर तक मॉक ड्रिल्स शुरू हो गई हैं, जिससे लोगों को जागरूक किया जा सके।
कई शहरों में किए गए अभ्यास
गुरुवार को मुंबई के दादर स्थित एंटनी डिसिल्वा हाई स्कूल में युद्ध सायरन बजाया गया। स्कूल परिसर में कुछ देर तक तेज आवाज वाला सायरन बजा, जिससे बच्चों और स्थानीय लोगों को युद्ध के हालात में कैसे प्रतिक्रिया देनी है, इसकी जानकारी दी गई। दूसरी ओर, श्रीनगर की डल झील के पास भी मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसमें स्थानीय प्रशासन और सुरक्षाबलों ने मिलकर युद्ध की स्थिति में बचाव के उपायों को परखा।
क्यों बजता है युद्ध का सायरन? युद्ध के दौरान सायरन बजाने के कई अहम उद्देश्य होते हैं:
हवाई हमले की चेतावनी देना। एयरफोर्स और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट करना। सिविल डिफेंस की तैयारियों को जांचना।ब्लैकआउट अभ्यास कराना। कंट्रोल रूम की तत्परता को परखना।इस सायरन के जरिए लोगों को समय रहते अलर्ट किया जाता है ताकि जान-माल की हानि को रोका जा सके।
कैसे पहचाने युद्ध का सायरन?
युद्ध का सायरन आम तौर पर 120 से 140 डेसिबल तक की तीव्रता वाला होता है, जो 2 से 5 किलोमीटर की दूरी तक सुना जा सकता है। इसकी आवाज एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड सायरन से अलग होती है। यह लगातार और तीखी ध्वनि के साथ आता है ताकि लोगों में तुरंत चेतावनी फैल सके। इसे सुनते ही लोग समझ जाएं कि यह कोई सामान्य अलर्ट नहीं, बल्कि युद्ध जैसी गंभीर स्थिति का संकेत है।
युद्ध सायरन बजे तो क्या करें?
घबराएं नहीं, तुरंत नजदीकी सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ें। 5 से 10 मिनट के भीतर शेल्टर या सुरक्षित क्षेत्र में पहुंचने की कोशिश करें। खुले मैदान, छत या ऊंची जगहों से तुरंत हट जाएं। मोबाइल, टीवी या रेडियो के माध्यम से सरकारी दिशा-निर्देशों को सुनें और उनका पालन करें। अफवाहों से बचें और सिर्फ अधिकृत सूचनाओं पर भरोसा करें।
सरकार की यह पहल लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। युद्ध जैसे हालात में समय पर चेतावनी मिलना और उस पर सही प्रतिक्रिया देना जान बचा सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम युद्ध सायरन की आवाज को पहचानें, सतर्क रहें और हर समय तैयार रहें।