हरिद्वार, 06 नवम्बर। देवभूमि उत्तराखंड की रजत जयंती के अवसर पर हरिद्वार स्थित मिश्री मठ में आयोजित पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव का तीसरा दिन राज्य आंदोलनकारियों के नाम रहा। करौली शंकर महादेव जी महाराज की अध्यक्षता में हुए इस विशेष संत समागम में हरिद्वार, ऋषिकेश, रायवाला, हरिपुर और देहरादून क्षेत्र के सैकड़ों आंदोलनकारियों को अंगवस्त्र, उपहार और माला पहनाकर सम्मानित किया गया। संतों की पावन उपस्थिति में हुआ यह आयोजन भावनाओं और कृतज्ञता से ओतप्रोत रहा। भक्तों और श्रद्धालुओं से खचाखच भरे मिश्री मठ में जब संतों ने राज्य निर्माण के अमर सपूतों को नमन किया तो वातावरण जय उत्तराखंड और जय देवभूमि के नारों से गूंज उठा। कार्यक्रम का आयोजन 4 से 8 नवम्बर तक पंचदिवसीय पूर्णिमा एवं देवभूमि रजत उत्सव के रूप में किया जा रहा है।

सदगुरुदेव करौली शंकर महादेव जी महाराज ने कहा कि “उत्तराखंड देवभूमि है। इसके निर्माण में सैकड़ों आंदोलनकारियों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया। राज्य की रजत जयंती हमें उन हुतात्माओं को नमन करने और उनके संघर्ष को याद करने का अवसर देती है।” उन्होंने कहा कि भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जनभावनाओं को समझते हुए उत्तराखंड राज्य का गठन किया था।उन्होंने यह भी कहा कि रजत जयंती समारोह तभी सार्थक होगा जब इसमें उन लोगों को स्थान मिलेगा, जिन्होंने अपने साहस, त्याग और संघर्ष से इस राज्य को अस्तित्व में लाया। “आईए हम सब मिलकर उन अमर आंदोलनकारियों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें, जिन्होंने यातनाएं झेलकर उत्तराखंड के सपने को साकार किया,” उन्होंने कहा।

म.मं. स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज ने कहा कि “राज्य निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। आंदोलन के दौरान महिलाओं ने जो साहस और नेतृत्व दिखाया, वह आज भी प्रेरणास्रोत है।” उन्होंने कहा कि आज सम्मान समारोह में बड़ी संख्या में महिला आंदोलनकारियों की उपस्थिति गर्व का विषय है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी जी महाराज ने कहा कि करौली शंकर महादेव जी द्वारा राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान करना पूरे उत्तराखंड को यह संदेश देता है कि आंदोलनकारियों का गौरव सबसे ऊपर है। यह पहल निश्चय ही प्रेरणादायक और अनुकरणीय है।

इस अवसर पर सभी संतों ने आंदोलनकारियों को शॉल, माला और अंगवस्त्र भेंट कर आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में हरिद्वार से योगेश पांडे, सतीश जोशी, आशु बर्थवाल सहित रायवाला, ऋषिकेश, हरिपुर, छिदरवाला आदि क्षेत्रों के सैकड़ों आंदोलनकारियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान श्रद्धा, भक्ति और देशभक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। राज्य निर्माण के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए संतों ने उत्तराखंड की भावी पीढ़ियों से आह्वान किया कि वे राज्य के गौरव, पर्यावरण और संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आएं। मिश्री मठ में इस तरह राज्य आंदोलनकारियों के सामूहिक सम्मान का आयोजन आज तक नहीं हुआ था। करौली शंकर महादेव जी के इस प्रयास ने देवभूमि के आंदोलन इतिहास को फिर से जीवंत कर दिया और हरिद्वार से लेकर पूरे गढ़वाल और कुमाऊं तक श्रद्धा और सम्मान का संदेश पहुंचाया।


