हरिद्वार, संवाददाता। करौली शंकर महादेव ने कहा कि जीवन में सफलता, यश, वैभव और संस्कारों की प्राप्ति के लिए संसार या परिवार का त्याग करना आवश्यक नहीं है। परिवार और समाज ही हमारे जीवन के वास्तविक आधार हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने कार्य में कुशल बनते हुए ध्यान साधना के मार्ग पर चलना चाहिए, जिससे रोग और शोक से मुक्ति मिल सके। जब व्यक्ति रोग और शोक से मुक्त होकर सशक्त बनता है, तभी उसके कुल का गौरव बढ़ता है।

उत्तरी हरिद्वार में आयोजित पूर्णिमा महोत्सव के समापन अवसर पर करौली शंकर महादेव ने उपस्थित संतों, साधुओं और साधकों का स्नेहपूर्वक स्वागत किया और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि मिश्री मठ के तत्वावधान में तीर्थनगरी की पावन धरा पर आयोजित यह पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव अत्यंत सफल रहा है। इस महोत्सव का संदेश संपूर्ण राष्ट्र में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करेगा। उन्होंने बताया कि भगवान नारायण की छत्रछाया में आगामी महोत्सव पवित्र नगरी वृंदावन में आयोजित किया जाएगा, जिसकी तिथि शीघ्र घोषित की जाएगी। इस अवसर पर डॉ. उमेश सचान ने अतिथियों का स्वागत किया।

आवाह्न अखाड़े के पूर्व राष्ट्रीय सचिव शिवशंकर गिरी महाराज ने कहा कि करौली शंकर महादेव स्वयं ब्रह्मस्वरूप हैं। उन्होंने ध्यान साधना और आध्यात्मिकता के माध्यम से मानव सेवा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। राष्ट्रवाद, संस्कृतिवाद और समन्वयवाद के प्रचार-प्रसार के साथ उन्होंने राष्ट्र को रोग व शोक से मुक्त करने का जो संकल्प लिया है, वह वास्तव में दिव्य और प्रेरणादायी है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि करौली शंकर महादेव को जूना अखाड़े की आवाह्न-अग्नि परंपरा का महामंडलेश्वर बनाया जाए, जिससे धर्म और संस्कृति के कार्यों को नई गति मिले।

समापन कार्यक्रम के दौरान करौली शंकर महादेव ने साधकों को कुण्डलिनी जागरण और ध्यान साधना का दिव्य अनुभव कराया। पूरा परिसर उस समय दिव्य चेतना से आलोकित हो उठा। कार्यक्रम का समापन भक्ति रस से ओतप्रोत भजन ‘जय जय राधा रमन हरि बोल’ के सामूहिक गान के साथ हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने उल्लास और आभार के साथ सहभागिता की। मिश्री मठ, हरिद्वार में संपन्न पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव के समापन दिवस पर भक्ति, साधना, योग और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर करौली शंकर महादेव ने शिवशंकर गिरी महाराज का ससम्मान स्वागत और अभिनंदन किया।


