हरिद्वार, 03 अक्टूबर। गुरुवार से से शक्ति की आराधना के दिन यानी शारदीय नवरात्र शुरू हो गए हैं। नवरात्रों में 9 दिनों तक मां भगवती की आराधना की जाती है। धर्मनगरी हरिद्वार में यूं तो माता के कई मंदिर हैं लेकिन यहां शिवालिक पर्वत पर स्थित मनसा देवी मंदिर से से लाखों भक्तों की आस्था जुडी हुई है नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में महिसासुर नामक राक्षस देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार कर रहा था। जब महिसासुर के अत्याचार से सभी देवता त्रस्त हो गए, तब देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाई। त्रिदेव के तेज से मां मनसा देवी का अवतरण हुआ और मां मनसा देवी ने राक्षस महिषासुर का संहार कर पृथ्वी लोक को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। ऋषि मुनियों और देवताओं की मनसा पूरी होने पर यह अवतार महिषासुर मर्दिनी भी कहलाया। – पंडित गणेश शर्मा, मुख्य पुजारी, मनसा देवी मंदिर

मनसा देवी मंदिर पर यूं तो साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचने वाले बहुत से श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर में भी दर्शन के लिए जाते हैं। लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां नजारा बेहद खास हो जाता है। नवरात्र के दिनों में मंदिर माता के जयकारों से गूंज उठता है और मंदिर में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ जाती है। मंदिर में श्रद्धालु मन्नत का धागा बांधते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद धागा खोलने आते हैं। श्रद्धालुओं का अनुभव है कि यहां आने से उनकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं।

हरिद्वार हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। हरिद्वार में साल भर गंगा स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। वहीं नवरात्रि के पावन दिनों में हरिद्वार की मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर भी माता के जयकारों से गूंजाएमान है।