प्रयागराज, 8 नवम्बर। उत्तर प्रदेश सरकार प्रयागराज महाकुम्भ मेले को दिव्य और भव्य बनाने पर जुटी हुई है। बीते गुरुवार को कुंभ के लिए सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों को मेलाक्षेत्र में जमीन का निरीक्षण कराना था। दोपहर तीन बजे मेला प्राधिकरण कार्यालय में सभी अखाड़ों के संतो को बुलाया गया था। अखाड़ा परिषद पहले से ही दो गुटों में बंटी हुई है। एक गुट से निरंजनी अखाड़े के सचिव व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी, इसी गुट के महामंत्री महंत हरि गिरि, महंत प्रेमगिरी सहित कई साधु आए और सभी अपनी-अपनी सीट पर बैठ गए।

तीन बजे के करीब जैसे ही अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट के महामंत्री व अणि अखाड़े के सचिव महंत राजेंद्र दास पहुंचे तो सीटें भर चुकी थीं। उनके आते ही दूसरे गुट के संत हर-हर महादेव कहते हुए निरीक्षण के लिए निकलने लगे। हर-हर महादेव कहने पर जूना अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि से महंत राजेंद्र दास की बहस हो गई। आगे बैठे संतों ने राजेंद्र दास को घेर लिया और मारपीट होने लगी। प्राधिकरण का दफ्तर जंग के अखाड़े में तब्दील हो गया।

इसके बाद कुम्भ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद, एसपी मेला राजेश दुबे, एडीएम कुम्भ विवेक चतुर्वेदी, एडीएम कुम्भ दयानंद प्रसाद, मेला प्रबंधक विवेक शुक्ला मौके पर पहुंचे और पुलिस बल आ गया। जिसके बाद महंत हरि गिरि गुट के संतों को निरीक्षण के लिए भेज दिया गया जबकि दूसरा पक्ष वहीं पर धरने पर बैठ गया। जिससे निरीक्षण से लौटने के बाद मेलाधिकारी ने बात की। दूसरा गुट प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग करता रहा।

एक कार्यक्रम में दोनों महंत रविंद्रपुरी मंच साझा करते हुए(फाइल फोटो)
अब जानिए दो फाड़ में बंट चुकी अखाड़ा परिषद का गणित।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद अखाड़ा परिषद में दो फाड़ हो गई। एक गुट है निरंजनी गुट और दूसरा गुट है महानिर्वाणी गुट। निरंजनी गुट के अध्यक्ष हैं महंत रविंद्रपुरी जो निरंजनी अखाड़े के सचिव हैं और महामंत्री हैं महंत हरि गिरि जो जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक हैं।
जबकि दूसरी गुट के अध्यक्ष रविंद्रपुरी हैं जो महानिर्वाण अखाड़े के सचिव हैं। इस गुट के महामंत्री राजेंद्र दास हैं। सितंबर 2021 में अखाड़ा परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के निधन के बाद से अखाड़ा परिषद दो गुटों में बंटा हुआ है।
दोनों ही गुटों के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी(महानिर्वाणी) और महंत रविंद्रपुरी (निरंजनी) है। दोनों अध्यक्षों के नाम सेम हैं लेकिन अखाड़े अलग अलग हैं। दोनों ही अपने आप को बहुमत के आधार पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का दावा करते आ रहे हैं।
कुंभ के आयोजन के लिए 13 अखाड़ों मिलकर हुआ था अखाड़ा परिषद का गठन।
कुंभ मेले के आयोजन के लिए अखाड़ा परिषद का गठन हुआ था। देश में 13 अखाड़े हैं। 13 अखाड़े के साधु संत बहुमत के आधार पर अध्यक्ष, महामंत्री समेत पूरी कार्यकारिणी का चुनाव करते हैं।