हरिद्वार/देहरादून, 25 जुलाई। सहकारिता क्षेत्र में अनुशासन और जवाबदेही तय करने को लेकर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। इसी कड़ी में जिला सहकारी बैंक लिमिटेड, हरिद्वार में बड़ी कार्रवाई की गई है। बैंक की शाखाओं की कार्यप्रणाली की समीक्षा के बाद दो शाखा प्रबंधकों को निलंबित कर दिया गया, जबकि आठ शाखा प्रबंधकों के वेतन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।यह कार्रवाई शुक्रवार को जिला सहकारी बैंक के बी.टी.गंज, रुड़की मुख्यालय में अपर निबंधक सहकारिता आनंद ए.डी. शुक्ला की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक में की गई। बैठक में शाखाओं की वित्तीय स्थिति, एनपीए, निक्षेप वृद्धि, ऋण वितरण सहित कई बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया। सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश पर बहादराबाद शाखा के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक प्रशांत शुक्ला और खानपुर शाखा के शाखा प्रबंधक देवनारायण चौधरी नाम शामिल है।

वेतन पर रोक वाले शाखा प्रबंधक—
रुड़की मुख्य शाखा, गणेशपुर, भगवानपुर, झबरेड़ा, लक्सर, खानपुर, राइसी और तेजुपुर शाखाओं के प्रबंधकों के वेतन पर रोक लगा दी गई है।
बैठक में यह भी निर्देशित किया गया कि जिन शाखाओं का एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्तियां) 10 प्रतिशत से अधिक है, उनके प्रबंधकों के वेतन पर रोक जारी रहेगी। साथ ही, आगामी तीन माह में एनपीए को 68 करोड़ रुपये से घटाकर 40 करोड़ रुपये तक लाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके अतिरिक्त, जिन शाखाओं का डिपॉजिट 10 करोड़ से कम है, उन्हें 20 करोड़ रुपये तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी शाखाओं को 15 अगस्त तक पैक्स कम्प्यूटरीकरण कार्य पूर्ण करने और शाखाओं का सौंदर्यीकरण कराने के भी निर्देश दिए गए।

लापरवाही पर सख्त कार्रवाई, अच्छा काम करने वालों को इनाम— डॉ. धन सिंह रावत
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस कार्रवाई पर स्पष्ट कहा कि राज्य में सहकारिता व्यवस्था को पारदर्शी, ईमानदार और जनता के हित में काम करने वाला बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि लापरवाही और लचर कार्यसंस्कृति अब किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो अधिकारी और कर्मचारी परिणाम देंगे, उन्हें सरकार प्रोत्साहित करेगी, लेकिन जो अपने कर्तव्यों से विमुख हैं, उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। डॉ. रावत ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देना राज्य सरकार का प्रमुख उद्देश्य है। इसके लिए हर स्तर पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जा रही है। उन्होंने कहा कि एनपीए की समस्या को खत्म करने के लिए हर शाखा प्रबंधक को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनाया जाएगा।
तीन माह में दिखने चाहिए परिणाम—सहकारिता विभाग सख्त
अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि आगामी तीन माह में बैंक की आर्थिक स्थिति में ठोस सुधार दिखना चाहिए। बैठक में कहा गया कि खराब प्रदर्शन वाली शाखाओं पर निगरानी और कड़ी कार्रवाई का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।