हरिद्वार। सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत का अधिकारियों को लेकर शेर और कुत्ते वाला बयान वायरल होने के बाद विरोध होना शुरू हो गया है। हरिद्वार में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके बयान को प्रेमचंद पार्ट 2 बयान बताया गया। वहीं युवाओं ने भी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोला और त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। त्रिवेंद्र रावत के लगातार बयान बाजी को लेकर साथ ही दलितों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया गया। युवाओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने सबसे बदहाल चार साल के कार्यकाल में जमकर अवैध खनन को कराया। तब त्रिवेंद्र सिंह रावत को क्यों याद नहीं आया कि खनन करना गलत होता है। क्या हरिद्वार के ग्रामीणों का रोजगार छीन कर ही त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी सफलता मानते हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत मात्र ऐसे सांसद हैं जो अपने क्षेत्र में झांककर भी नहीं देख रहे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए हजारों लोगों का रोजगार छीनना चाहते हैं, यह दलित मानसिकता विरोधी सांसद है इसको तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए। बता दे कि कुछ दिन पहले भी गुमनाम सांसद के बोर्ड लगाए गए थे। उन्हें ढूंढने पर 5000 का इनाम मिलेगा इस प्रकार के बोर्ड रुड़की के गांव में लगाए गए थे।
आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने 4 साल के कार्यकाल में कोई भी विकास उत्तराखंड में नहीं किया। विकास के नाम पर या तो देवस्थानम बोर्ड बनाया, या फिर मंगलोर में स्लाटर हाउस खुलने की अनुमति दे दी। ऐसे हैं हरिद्वार के सांसद, दलित से लेकर पुरोहित का अपमान करने वाले ऐसे सांसद को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर दलितों और गरीबों का नुकसान करना ही है तो हमें घर ही बिठा दे, हरिद्वार के सांसद सिर्फ संसद में बयान बाजी तक सीमित है धरातल पर कौन सा काम किया कोई एक भी बता दें।