हरिद्वार, 09 जुलाई। कांवड़ मेले को लेकर साधु-संतों के बयानों ने एक बार फिर माहौल गरमा दिया है। हरिद्वार के गुरु मंडल आश्रम में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिंदू रक्षा सेना के अध्यक्ष और जून अखाड़े के महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरी और अन्य संतों ने कांवड़ यात्रा के दौरान गैर हिंदुओं के प्रवेश और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। संतों ने साफ कहा कि कांवड़ यात्रा हिंदू आस्था का पर्व है, जिसमें गैर हिंदुओं को किसी भी रूप में भागीदारी नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर अपनी बात रखी गई है। हालांकि पूर्व में मुख्यमंत्री ने थूक जिहाद और दुकानों पर नाम और पहचान लिखने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठी दो प्रमुख मांगें:
- गैर हिंदुओं से कांवड़ न खरीदी जाए: संतों ने कांवड़ियों से अपील की कि वे बाजारों में गैर हिंदू दुकानदारों से कांवड़ न खरीदें, बल्कि स्वयं ही अपनी कांवड़ तैयार करें।
- हरकी पैड़ी क्षेत्र में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक: संतों ने प्रशासन से हरकी पैड़ी समेत संपूर्ण मेला क्षेत्र में गैर हिंदुओं के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की मांग की।
प्रबोधानंद गिरी ने कहा अगर प्रशासन हमारी मांगों को नजरअंदाज करता है तो संत समाज खुद मोर्चा संभालेगा। यह आस्था और संस्कृति का सवाल है, जिसे किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग कांवड़ मेले का लाभ केवल व्यापारिक दृष्टि से उठाते हैं, जबकि उनकी आस्था से कोई सरोकार नहीं होता। अक्सर थूक जिहाद और मूत्र जिहाद के मामले सामने आते रहते हैं, ऐसे में मेले की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि कांवड़ मेले में गैर हिंदुओं के प्रवेश और व्यापार पर रोक लगाई जाए। बायलॉज के अनुसार हरकी पैड़ी क्षेत्र के 8 किलो मीटर के दायरे में प्रवेश पर रोक लगाई जाए। गैर हिंदुओं से कांवड़ न खरीदी जाए। खुद कांवड़ बनाए या फिर लौटे में गंगाजल और हाथ में लकड़ी लेकर कांवड़ यात्रा की जाए। इसको लेकर अगर सरकार कार्यवाही नहीं करती तो संत समाज को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

कांवड़ यात्रा को लेकर इस तरह के बयान आने के बाद प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन धार्मिक आयोजन के दौरान साम्प्रदायिक तनाव से बचने के लिए प्रशासन की भूमिका बेहद अहम हो जाती है।

बता दें कि अक्सर कांवड़ के समय इस तरह के मुद्दे हावी होते हैं लेकिन सच्चाई ये है कि कांवड़ बनाने का ज्यादातर कार्य मुस्लिम समाज के लोग ही करते हैं। इससे पहले इसे कौमी एकता की मिसाल के रूप में देखा जाता रहा है। बुधवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश और अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्त बाबा हठयोगी को भी आना था लेकिन वो किन कारणों से नहीं आए ये स्पष्ट नहीं हो पाया है।