हरिद्वार। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत जिला प्रशासन एक्शन मोड में है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशन पर भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में जिला पंचायतराज अधिकारी अतुल प्रताप सिंह ने एक और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीडीओ) को निलंबित कर दिया है।
जारी आदेश के अनुसार, ग्राम पंचायत अकौढ़ा खुर्द (विकासखंड लक्सर) के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी श्री शंकरदीप को सीसी सड़क निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल और जांच प्रभावित करने की कोशिश के आरोप में निलंबित किया गया है।
शिकायत पर शुरू हुई थी जांच
कश्यप बस्ती में सीसी सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीण सुमित कुमार ने शिकायत की थी कि निर्माण कार्य में निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया। शिकायत के बाद सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी ने 19 जुलाई 2025 को मौके पर जाकर जांच की और 21 अगस्त 2025 को रिपोर्ट सौंपी।
रिपोर्ट में पाया गया कि सड़क की गुणवत्ता खराब है, नाली का निर्माण बिना लेवल के किया गया है और पानी-कीचड़ भराव की स्थिति बनी हुई है। जांच में यह भी पाया गया कि निर्माण के दौरान संबंधित अधिकारियों ने समय-समय पर निरीक्षण नहीं किया, जिससे गुणवत्ता प्रभावित हुई।
लीपापोती की कोशिश का खुलासा
जांच के दौरान ही एक नई शिकायत सामने आई कि दोष छिपाने के लिए ग्राम पंचायत विकास अधिकारी यानी वीडीओ शंकरदीप और कनिष्ठ अभियंता (आउटसोर्स) मनोज कुमार ने उसी सड़क पर नई सीसी लेयर डाल दी, ताकि पुरानी खामियों को ढका जा सके।
इस पर 8 अक्टूबर 2025 को सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) लक्सर ने स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने पुष्टि की कि वाकई सड़क पर नई सीसी लेयर डाली गई है, जिससे जांच प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह कदम “मूल स्वरूप से छेड़छाड़ कर जांच को भ्रमित करने का प्रयास” दर्शाता है।
डीपीआरओ ने मानी गंभीर लापरवाही
मामले को गंभीर अनियमितता मानते हुए जिला पंचायतराज अधिकारी अतुल प्रताप सिंह ने श्री शंकरदीप को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। आदेश में कहा गया है कि आरोप प्रमाणित होने पर उन पर दीर्घ दंडात्मक कार्रवाई संभव है।
निलंबन अवधि में यह रहेगा प्रावधान
निलंबन अवधि में श्री शंकरदीप को नियमावली के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता तथा मंहगाई भत्ता मिलेगा। लेकिन यह भुगतान तभी किया जाएगा जब वे यह प्रमाणित करें कि वे किसी अन्य व्यवसाय या सेवा से नहीं जुड़े हैं।
साथ ही निलंबन अवधि में उन्हें खण्ड विकास अधिकारी भगवानपुर के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। निर्देश दिए गए हैं कि बिना पूर्व अनुमति कार्यालय समय में अनुपस्थित नहीं रहेंगे।

